ताजमहल का ये हिस्सा साल में खुलता है सिर्फ तीन दिन, जानिए इस जगह से जुड़े कुछ और रोचक तथ्यों के बारे मे

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 ताजमहल का ये हिस्सा साल में खुलता है सिर्फ तीन दिन, जानिए इस जगह से जुड़े कुछ और रोचक तथ्यों के बारे में

हर कोई चाहता है कि वह अपने जीवन में एक बार ताजमहल जरूर देखे। जैसा की आप जानते हैं, इस महल को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए बनवाया था। प्यार के प्रतीक के रूप में देखे जाने वाले ताजमहल की गिनती दुनिया के 7 अजूबों में भी की जाती है.....



हर कोई चाहता है कि वह अपने जीवन में एक बार ताजमहल जरूर देखे।जैसा की आप जानते हैं, इस महल को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए बनवाया था। प्यार के प्रतीक के रूप में देखे जाने वाले ताजमहल की गिनती दुनिया के 7 अजूबों में भी की जाती है और सिर्फ भारत के लोग ही नहीं इस खूबसूरत जगह को देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक यहां आते हैं। वैसे ताजमहल के बारे में काफी हद तक लोगों को जानकारी होगी ही, लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी मजेदार जानकारी देने वाले हैं, जिसे सुनने के बाद यकीनन आपको बेहद मजा आने वाला है।

एक बात जो आपको बेहद अजिब लगे, लेकिन ये सच हर कि ताज दिन में अपना तीन बार रंग बदलता है। रंग में बदलाव रोशनी और समय के आधार पर देखने को मिलता है। ताजमहल सुबह के वक्त गुलाबी और शाम के समय दूधिया सफेद और चांदनी में सुनेहरा दिखाई देता है। अगर आप एक से ज्यादा बार अलग-अलग समय पर ताजमहल देखने गए हैं, तो आपने इस बात पर गौर जरूर किया होगा कि ताजमहल का रंग दिन के समय कुछ और रात एक समय कुछ होता है। अगर आपने ये चीज गौर नहीं की है, तो इस बार जरूर करें।

ताजमहल से जुड़ा फैक्ट जो सबसे ज्यादा लोगों द्वारा एकदूसरे को बताया जाता है कि शाहजहाँ ने मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे, ताकि इस जैसा स्मारक फिर से न बन सके। इस बात में कितनी सच्चाई है इस बात के साक्ष्य अभी नहीं मिला हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि श्रमिकों को न केवल अच्छी तनख्वाह दी जाती थी बल्कि ताजमहल के निर्माण के लिए आवश्यक उनके कौशल के लिए भी उनका सम्मान किया जाता था।


जड़ाई के काम के लिए कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था जो लगभग 28 विभिन्न प्रकार के थे। ये पत्थर श्रीलंका, तिब्बत, चीन और यहां तक कि भारत के कई स्थानों से मंगवाए गए थे। दीवारों में उकेरी गई सुलेख में पुरान के छंद शामिल हैं जिनमें स्वर्ग की बातें लिखी गई हैं।


ताजमहल के केंद्र में शाहजहाँ और मुमताज दोनों की कब्रें हैं। ये कब्रें खाली स्मारक मकबरे हैं और दोनों को नीचे एक कक्ष में अचिह्नित कब्रों में दफनाया गया है क्योंकि इस्लाम में कब्रों की सजावट मना होती है।

सुनने में आपको ये अजीब लगे, लेकिन ताजमहल आगरा में नहीं बनाया जाना था। इससे पहले बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) में बनना था, जहां मुमताज की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई थी, लेकिन दुर्भाग्य से, बुरहानपुर में पर्याप्त संगमरमर की आपूर्ति नहीं हो पाई और इसलिए आखिर में आगरा में ताजमहल बनाने का निर्णय लिया गया।



हालाँकि, जब ताज के बारे में बात की जाती है, तो शाहजहाँ और मुमताज महल के बीच प्रेम कहानी पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है। आपको बता दें ताज के बाहर कई मकबरे हैं, लेकिन उसी परिसर में जहां शाहजहां की अन्य पत्नियों और पसंदीदा नौकरों को दफनाया गया है।


ताजमहल के निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री को 1,000 से अधिक हाथियों की मदद से ले जाया गया था। यह मुख्य रूप से सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर था जिसे परिवहन की आवश्यकता थी, और इसे पूरे भारत और मध्य पूर्व से प्राप्त किया गया था। लाल बलुआ पत्थर फारसी वास्तुकला में आम है और दिल्ली में लाल किला और जामा मस्जिद जैसी अन्य मुगल संरचनाओं में भी इन पत्थरों को देखा जा सकता है, जबकि सफेद संगमरमर का उपयोग परमात्मा के प्रतिनिधित्व के रूप 

ये बात जानकार आपका मजा शायद और बढ़ जाए, आपको बता दें शाहजहाँ सफेद संगमरमर के ताजमहल के अलावा काला ताजमहल भी बनवाना चाहता था। शाहजहाँ ने ताजमहल का कार्य पूरा करने के बाद नदी के उस पार संगमरमर में एक और ताजमहल बनवाने का इरादा बनाया था, लेकिन वो इच्छा शाहजहाँ की पूरी न हो सकी, क्योंकि उसके बेटे औरंगजेब ने 1658 में उसे बंदी बना लिया था।


अगर आप ये सोचते हैं कि कुतुब मीनार को ताजमहल से ऊंचा माना जाता है, तो आप गलत हैं। क्योंकि ताजमहल पांच फीट के अंतर के साथ कुतुब मीनार से भी लंबा है।




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April 17, 2025